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24 Sep 2021 · 1 min read

रामलीलाएँ (गीत)

गीतः रामलीलाएँ
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
भारत की संस्कृति की वाहक सुगढ़ रामलीलाएँ
(1)
यहीं मन्च पर दीख रहे श्री राम धनुर्धारी हैं
माता और पिता के प्रति नतमस्तक आभारी हैं
आज्ञा से वन गए पिता की, यह इनकी शिक्षाएँ
भारत की संस्कृति की वाहक सुगढ़ रामलीलाएँ
(2)

यहीं साधु का वेश धरा कपटी रावण हम पाते
यहीं स्वर्ण की लंका को दिखते हनुमान जलाते
रामसेतु की रचना की दिखती अद्‌भुत गाथाएँ
भारत की संस्कृति की वाहक सुगढ़ रामलीलाएँ
(3)
जीती लंका किन्तु न लालच -वृत्ति राम में आई
देवलोक से बढ़कर जननी – जन्मभूमि बतलाई
युगों युगों तक राम – चरित से सदा प्रेरणा पाएँ
भारत की संस्कृति की वाहक सुगढ़ रामलीलाएँ
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°
रचयिता: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर (उ.प्र.) 9997615451

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