*राफेल नभ में उड़ाती हैं बेटियाँ (गीतिका)*
राफेल नभ में उड़ाती हैं बेटियाँ (गीतिका)
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(1)
घर में उजाला चाँद – सी लाती हैं बेटियाँ
चिड़ियों के जैसे नाचती-गाती हैं बेटियाँ
(2)
इनको विवाह बाद भी मायके से प्रेम है
जब भी पुकारो दौड़ कर आती हैं बेटियाँ
(3)
दिल पर न जाने किस तरह पत्थर को रख लिया
ससुराल हो के जब विदा जाती हैं बेटियाँ
(4)
जिनको विदा किए ही अभी चार दिन हुए हैं
वह लग रहा है जैसे बुलाती हैं बेटियाँ
(5)
मौसी-बुआ हैं और माँ-दादी के रूप हैं
सब भूमिकाएँ अपनी निभाती हैं बेटियाँ
(6)
कामों में घर के हाथ बँटाती हैं बेटियाँ
ऑटो भी कार-ट्रक भी चलाती हैं बेटियाँ
(7)
समझो न बेटियों में किसी बात में कमी है
अब तो राफेल नभ में उड़ाती हैं बेटियाँ
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451