राधे स्नेह…. वियोग
तपती धूप मे ठंडी छाँव हो तुम
बिन बयां किये गहरे भाव हो तुम
अंतरमन की मेरी परवाह हो तुम
…राधे
जो कभी न भरे वो घाव हो तुम
हो तुम स्नेह उपज ह्रदयतम मे
तुम हो दवा मेरे मन मर्म मे
तुम्ही हो राधे अहसास भ्रम मे
…राधे
पर तुम नहीं हो मेरे भाग्य क्रम मे
हो मेरे ह्रदय का सार तुम्ही
अंकुर व्यथा और प्रभार तुम्ही
कण और मेरा संसार तुम्ही
..राधे
मेरे जीवन से हो पार तुम्ही
हो स्वस्थ साफ निर्मल मन तुम
हो तुम्ही धूप शीतल जल तुम
मेरी वाणी का क्षण पल तुम
…राधे
पर नही हो भविष्य कल तुम
राधे तुम्ही धन रंक हो मान तुम्ही
हो शर्म हया और सम्मान तुम्ही
रवि का प्रकाश ख़ुशी अहसास तुम्ही
… राधे
मेरे पल और अंतिम हो श्वास तुम्ही
उद्वलित भावो मे शांत हो तुम
मेरी इच्छाओ का क्रांत हो तुम
हो तुम्ही तम और सक्रांत हो तुम
…राधे
मेरे दिनकर का वक्रांत हो तुम
हे राधे तुम ह्रदय सागर ऊछाल
बहती पवन की हो तुम्ही चाल
हो अंधकार मे दीप और मशाल
… राधे
मेरे दुखो का तुम्ही सागर विशाल
हो चपल शांत और भाव गंभीर
हो तेज धीर और वीर भीर
राधे तुम हो गंगा सा नीर
… राधे
तुम्ही बनी हो भविष्य प्रचीर
राधे तुम हो सांस रोम वियोग मेरा
तुम्ही हो पद गद्य और योग मेरा
हो तुम्ही गुणज़ और प्रयोग मेरा
… राधे
लिखा है तुम्ही हो वियोग मेरा