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16 Jan 2018 · 1 min read

राधे-श्यामी छन्द

राधे-श्यामी छन्द/ मत्त सवैया छंद

उनकी पायल की मधु रुनझुन, शाम-सहर पास बुलाती है l
वो सपनो में आ कर मेरे, आंखों की नींद चुराती है ll
तितली सी वो इठलाती है ,चन्द्रवदन पे इतराती है l
रेशमी जुल्फ झटकती हुई ,वो मंद-मंद मुस्काती है ll 1

जर्जर सा जीवन सँवर गया, तेरे गाँव चले आने से l
अब रूठ कभी ना जाना तुम, तेरे आशिक दीवाने से ll
तेरी चाहत की खुश्बू से, महका-महका दिल अमराई l
सारी उम्र साथ चलना तुम ,बन जाना मेरी परछाई ll 2

जो आज हमें परी मिली है ,वह प्रभु सब तेरी माया है l
लब हाला है रूप सलोना ,मन कुन्दन कंचन काया है ll
है मनुहार अदा सादापन,कोयल सी है उसकी बानी l
ये फूल कली भी शरमाए, ऐसी मधु सी नब्य जवानी ll 3

✍दुष्यंत कुमार पटेल

Language: Hindi
3 Comments · 527 Views
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