पिता के जाने के बाद स्मृति में
दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा
"शीशा और रिश्ता बड़े ही नाजुक होते हैं
हम अपनी आवारगी से डरते हैं
सारे इलज़ाम इसके माथे पर,
****हर पल मरते रोज़ हैं****
*मानपत्रों से सजा मत देखना उद्गार में (हिंदी गजल/
केही कथा/इतिहास 'Pen' ले र केही 'Pain' ले लेखिएको पाइन्छ।'Pe
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
मेरे लहज़े मे जी हज़ूर ना था
आज के इस स्वार्थी युग में...
I Am Always In Search Of The “Why”?
जन्नत और जहन्नुम की कौन फिक्र करता है