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28 May 2024 · 1 min read

राधे कृष्णा, राधे कृष्णा

शीर्षक –
राधे कृष्णा, राधे कृष्णा

मोरा मन कान्हा, पुकारें कृष्णा- कृष्णा।
नैन उलझ गए मोरे तोसे,अब ना तरसाओ ना।।

दर्पण में निहारूं,दिखे मुझे सर्वत्र किसन कन्हैया।
तेरी वंशी की धुन रस घोल रही है कानों में,बुलाय रही मैया।।

चांदनी रात में नेह रहा बरस, भींगी मोरी अंगिया।
चांद बन दमकें गगन में, चुरा ली मेरी निंदिया।।

कंच है मोरी उलझी सी,आ के सुलझा दो ,कृष्ण कन्हैया।
सोलह श्रृंगार कर सजी हैं राधा, दर्पण देख लरजाय गई है दैया।।

मन मोहिनी है मूरत देख, झील सी अखियों में डूब हैं मोहन।
रास रचैया,राधे संग श्याम नाचें, संग झूमें मधुवन।।

श्याम रंग में रंग गयी, राधा रानी की चुनरियां।
बरसाने की होली देखने, उमड़ पड़ी सारी नगरियां।।

प्रीत में डूबे हैं मोहन के नयन,कच लिए हाथ में इक – दूजे से मिले हैं मन।
ग्वाल बाल संग कृष्ण कन्हैया सताय राधे को हर दम।।

राधे बोलें चित चोर, कहां गए वो दिन।
जब घूमते थे,मेरे साथ चारों पहर, नहीं लगता था तुम्हारा दिल मेरे बिन।।

हर पल गूंजती है, तुम्हारी ये मधुर बांसुरी की धुन।
मनमोहन बस गए हो तुम,मेरी सासों में,तेरे सपनें रही बुन।।

बहुत हो गया अब तो आ जाओं, मेरी तन्हा रातों में।
नहीं काटें कटें ये रैना,बस तेरी मीठी मीठी बातों में।।

अमर हो गई ,तेरी – मेरी प्रेम कहानी।
राधे कृष्णा, राधे कृष्णा ,सब गा रहे हैं जुवानी।।

विभा जैन (ओज्स)
इंदौर ( मध्यप्रदेश )

Language: Hindi
28 Views
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