राधेय-राधेय
“राधेय-राधेय”
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काल कवलित करने कंस को,लिया विष्णु ने अवतार धरा पर।
कृष्णा संक्षा से शोभित द्वापर,देवकी-वासुदेव पुत्र हर।।
यशोदा-नंद ने पालन कर,जन्माष्टमी का दिया उत्तर।
प्रभु महिमा ये अपार अंतर,लला रूप पल्लवित नंद दर।।
रास रचैया सब मन भाए,मटकी फोड़ माखन चुराए।
गौ चराए बंसी बजाए,प्रभु हर रूप सबको लुभाए।।
बाँसुरी की धुन मोहे वाह!पशु-पखेरू तरु-दल सब वाह!
नर-नार कण-कण डोले वाह!वृंदावन भू अर्पित कहे वाह!
प्रिया राधा प्रीतम श्याम का,चर्चा जगत् में दो नाम का।
करे जो सदा फल पाएगा,धर्म अर्थ यश सुख आएगा।।
?-राधेय-राधेय-?
राधेयश्याम बंगालिया “प्रीतम”
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