राधा
रास रचाया गोपियों संग और जिया को भा गई राधा
बाँध के अंखियन की डोरी से कान्हा को पा गई राधा
प्रीत अमी नयनों से अपने पिला गई राधा
प्रेम गीत की मधुर तान पर नचा गई राधा
त्याग प्रेम का रूप है दुजा सबको सिखला गई राधा
प्रेम ही भक्ति प्रेम ही पूजा सबको यही बतला गई राधा
जिसका पार न पा सके ऋषी-मुनी उस गिरधर को पा गई राधा
ब्याही रुक्मण संग मुरारी पर प्रीत की रीत निभा गई राधा
नीलम शर्मा✍️