राधा-मोहन
वृंदावन छोड़ के मोहन , राधा बरसाना गांँव
बैठे यमुना तट की ठाँव , ओम् कदंब की छांँव
मोहन अधर विराजत मुरली , राधा कर पुष्प हार
राधा निहारत श्याम को , श्याम निहारत संसार
राधा ताक रही मोहन को , ले पुष्पों का हार
कान्हा धर बंसी रखें , तो मैं पहनाऊँ हार
श्याम छेड़ रहे तानों को , रख मुरली अधरान
ओम् सुन बंसी की धुन, खिली राधे अधर मुस्कान
ओमप्रकाश भारती ओम्
बालाघाट मध्यप्रदेश