राधा-मोहन
सावन गीत
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“सावन महीना अधिक सुहावन जिसमें तिज” त्योहार “सखी रे ,मनवा झुम झुम जाए..।
मथुरा जी की शोभा सखी रे कोई ना कह पाए , जहां पर कृष्ण लिए “अवतार” सखी रे मनवा झुम झुम जाए..।।
गोकुल में झुले सब बहना “पलना” सखी रे ,जहां लिला करे अपार, सखी रे मनवा झुम झुम जाए.. ।
सबसे बडी वृंदावन सखी रे, जहाँ कृष्ण रचाते “रास” सखी रे मनवा झुम झुम जाए..।।
मंदिर- मंदिर झूला सखी रे रंग -रंगें हजार जिसमें “झूले” नन्दलाल,सखी रे मनवा झुम झुम जाए।
राग -रंग घर- घर सखी रे बैकुंठ बने “बज्रधाम”सखी रे मनवा झुमझुम जाए”..।।
प्रतिभा कुमारी गया ✍️