राधा झूले
राधा झूले
अहो ग्वाल भईया
कहियो बरसाणा
बाबुल से जाय।
भेजो दाऊ भईया
लेने मुझको आय।
सावण रूत , झर लाग्यो
झर-झर बूंदिया गिरत
बगिया में झूला परत।
मोरो मन झूलन को तरसत
ग्वाल सुन बरसाणा पौहंचे
सुनायो सब हाल
सुन श्रीदामा पौहंचे
लायो राधा जाय
सुन्दर झूलो अम्बुआ पर डारो
राधा झूले
झुलाये श्रीदामा भईया
सखि गाये गीत मधुर
तीजों में मन हर्षायो।
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नवल पाल प्रभाकर