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26 May 2023 · 1 min read

राधा कृष्ण

राधा कृष्ण

धन्य धरा पुलकित रवितनया, राधा कृष्ण यमुना तट दरसे।

मुरलीधर बंसीधुन डूबे, अधरन बंशीधर मुरली परसे।

पग पखारि कृष्णा तट राधा,देखि-निरखि निज चरणन हरषे।

देखि रमा, छवि-पद-छाया, निज जल मध्य भानुजा हुलसे।

देखि युगल छवि राधे मोहन की, देवन सरिता तट को तरसे।

कालिंदी कूल गिरि सुंदर सोहे,देव करहिं दरसन शुभ नभ से।

*******************************************************
—राजेंद्र प्र. गुप्ता, मौलिक/स्वरचित।

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