राधा कृष्ण
कृष्ण जन्माष्टमी पर शुभकामनाएं
राधा की परछाईं
है कृष्ण
राधा हंसे तो
कृष्ण हंस पड़ते हैं
राधा दुखी तो
कृष्ण दुःखी होते हैं
राधा रूठे तो
मनाने लगते है
मुरली की धुन बजा
रिझाने लगते हैं
दुलारती है
तो बन जाते हैं
छोटे से कान्हा
नटखट शरारत
कर खा जाते
हैं माखन सारा
श्रंगार भी करते हैं
राधा का औऱ
जबरदस्ती कलाई
पकड़ रचा देते हैं
महारास भी
जैसा चाहती है
राधा, कृष्ण
वैसा ही बन
पहुंच जाते है
उसके पास!
राधा की चाहत
है कृष्ण, हसरत है
उसकी इच्छाएँ है
मन के कोने में
दबी हुई,जिन्हे
पूरा कर सकते
है केवल कृष्ण।
बस कृष्ण है यही
प्रत्यक्ष में दिखते
तो कहीं नहीं
पर जन जन
के हृदय में
उनकी मुरत
है बसी हुई।
सलिल शमशेरी ‘सलिल’