राधा की अंतिम विदाई
तुमने वचन लिया था रोना मत ,
देखो कान्हा ! मैं नहीं रोई।
तुमने वचन दिया मैं आएगा ,
मैं प्रतीक्षा करती रही ।
परंतु कभी जब विरह ने सताया,
मेरा मरने का मन भी किया,
परंतु मैं मर भी न सकी ।
क्योंकि तुमने आना था ।
मैं कालिंदी से ,वृक्षों से ,लताओं से,
बादलों से ,पशु पक्षियों से ,
तुम्हारी बातें करके दिल बहलाती रही ।
मैने हर प्रकार से जतन कर लिए ,
तुम्हारे बिन रहने के ।
अब बस ! अब तुम अपना वचन पूरा करो ।
मेरे जीवन की अंतिम घड़ी आ रही है ,
अब तो मिलने आ जाओ ।
तुम्हें देखे बिना मेरे प्राण व्याकुल रहेंगे ,
इस जर्जर काया का त्याग ना कर सकेंगे ।
मेरी आत्मा की मुक्ति हेतु ,
बस ! एक बार अपने दर्शन करवा दो ।
इन बुझती नयनों की ज्योति को ,
बस एक आस है तुमसे ,और नहीं कोई ।