* रात *
“रात”
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जब-जब होती है , ‘रात’
घर पर होते , हम-सब;
मम्मी-पापा के ही साथ,
‘रात’ को सोते, हम-सब,
सुबह होती, जगते जब;
मुंह धोकर , पढ़ते तब;
‘रात’ को रहती है अंधेरा,
जब तक न होता, ‘सवेरा’
‘रात’ को डरता भाई मेरा,
‘रात’ को, सपने भी आते;
सपने हमें , कभी रुलाते;
कभी हम, खुश हो जाते।
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…..✍️प्रांजल
…….कटिहार।