रात से
जिंदगी रात से भतर हो गई
आंखो चिराग बूझ जाते ही
प्यार जल्दी कभी नही मिलता
क्यू न करे टूटे तारे विनते ही
हो कही आइना ऐसा भी एक
चेहरे सच्चे बता दे देखते ही
क्या हमारा चुकाएगा कोई
निमटा जाते सब कमाते ही
ख्वाब मे उन्हे हम भुला लेते है
रात मे आंखो को झपकते ही
जिद मेरी सभी पूरी हो गई
रहम मुझ पर खुदा के आते ही