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22 Oct 2019 · 1 min read

रात में खामोश चाँद

रात में ख़ामोश चाँद हो तुम…

उस चाँद की पहली चांदनी हो तुम,

फूलों की कली, फ़रों से बनीं,

इत्र की खुशबू हो तुम,

खो गया मैं तेरे प्यार में,

उस दाश्तह की पहचान हो तुम……….

ग़र्क़-ऐ-बहर-ऐ-फ़ना “दीप”,

मेरे हमसफ़र और दम-साज़ हो तुम… …. ….. …… ….. …..

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