कल तुम्हारा है
समय के सीने पर
नाम अपना लिख लो
अपनी कृति लिख दो
कुछ गढ़ लो l
विज्ञानं की बातें
गणित के सूत्र
सामाजिकता के मूल
सही -सही समझ लो l
परीक्षा के दिन हैं
दिन नही अनगिन है
समय का सदुपयोग करो
थोड़ा और पढ़ लो.
धरती पर ही नहीं घूमना
तुम्हें अंतरिक्ष में जाना है
थको नहीं, हारों नहीं
थोड़ा और चढ़ लो l
असमंजस हो कोई
किसी जानकार से पूछ लो
कल तुम्हारा है
आओं कुछ नयाब कर लो
विद्या ज्ञान की पूंजी है
यही जीवन की कुंजी है
अग्रजों का सम्मान करों
झुक कर आशीष ले लों.
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@ रचना – घनश्याम पोद्दार
मुंगेर