रात भर
रात भर
रात रानी महकती रही रात भर।
खुशबू को मैं तरसती रही रात भर।।
तुम निगाहों से ओझल हुए इस तरह।
प्यासी आँखें बरसती रही रात भर।।
प्यार बाँहो में भरकर किया ख्वाब में।
मोम सी मैं पिघलती रही रात भर।।
तुम विरह में जो करवट बदलते रहे
मैं मिलन को मचलती रही रात भर।।
फिर हुईं तेज धड़कन तुझे सोचकर।
मैं बिखरती सँभलती रही रात भर।
ख्वाब टूटा हुई रूह बेचैन सी ।
याद में फिर सिसकती रही रात भर ।।
प्रेम चिंगारी दिल में दबी थी सनम।
ज्योति जबसे सुलगती रही रात भर।।
✍?श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव