रात भर………
जिगर का टुकड़ा चैन से सोए,
मां उसे लोरी सुनाती रही रात भर।
दिन में जो कुछ छिपाया था दिल में,
नींद में वह बड़बड़ाती रही रात भर।
वतन से दूर गए थे हम एक बार,
आंखें आंसू बहाती रही रात भर।
रूठ कर बैठा है क्यूं कुछ बात कर,
कहकर मैं उसे मनाती रही रात भर।
थी अमावस की रात घनी अंधेरी,
मैं दीपक जल आती रही रात भर।