रात भर सौ सवालों मे उलझा रहा, मेरे जज्वात दिल में मचलते रहे ।।
रात भर सौ सवालों मे उलझा रहा,
मेरे जज्वात दिल में मचलते रहे ।
प्रीत के बोल मुख से न निकले कभी,
हमकदम बन के वस रोज
चलते रहे,
रुख तुम्हारा कभी भी समझ ना सका,
मौसमो की तरह तुम बदलते रहे,
रात भर सौ सवालों मे उलझा रहा,
मेरे जज्वात दिल मे मचलते रहे,
शाम आई गई दिन ढला गुल खिला,
तुम सितारों से छुपते निकलते रहे,
हमको मालूम है सब समझते थे तुम
सब समझ के भी नादान
बनते रहे,
रात भर सौ सवालों मे उलझा रहा,
मेरे जज्वात दिल में मचलते रहे ।।
अनुराग दीक्षित