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16 Sep 2017 · 1 min read

रात भर याद तेरी सताती रही!

रात भर याद तेरी सताती रही!
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रात भर याद तेरी सताती रही!
याद आती रही याद जाती रही!

रात भर सोचता ही रहा हूं तुझे,
साथ रंगीन सपने सजाती रही!

चांद भी बादलों में छुपा रह गया,
याद में तेरी आंसू बहाती रही!

रूठ कर जानेवाले ख़ुदा पास आ,
शाद मन नाज़ नखरे उठाती रही!

आहटों को सुना जब कभी रात में,
खिड़कियों से मैं परदे हटाती रही!

अब दिवाने से कोई शिकायत नहीं,
गीत सारे उसी के मैं गाती रही!

जिस्‍म कहने लगा अलविदा दोस्तों,
अपना ही मैं जनाज़ा उठाती रही!

©कुमार ठाकुर

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