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15 Jul 2019 · 1 min read

रात भर का मेहमान है अंधेरा

होती नहीं रात
हमेशा के लिए
रात होती है
रात भर के लिए
रात और दिन का
है नाता
एक दूसरे का

होता नहीं
समय
हर किसी का
खराब
वक्त
रहता है बदल

हिम्मत नहीं
हारना है
चाहे हो
रात का
अंधकार
कितना भी
गहरा

स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल

Language: Hindi
364 Views
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