रात बीती
कल रात बड़ी खुशनुमा थी
पूनम का चांद चमक रहा था
नीले आकाश में तारे
मद्धिम संगीत बजा रहे थे
रोशनी मीठे शहद सी
टपक रही थी पेड़ों से
उनकी टहनियों को चूम कर
पत्तों के बीच रास्ता बना रही थी
और उस सुदूर क्षितिज पर
आकाश दरिया की बांह थाम
सुकून फरमा रहा था
सब कुछ कितना अच्छा था
कहीं कल तुम तो न आये थे
चुपके से अंधेरे के किवाड़
खोलकर मेरे दिल में
पुष्प ठाकुर