रात बित जाएगा हो जाएगा सवेरा
रात बीत जायेगा हो जाएगा सवेरा,
हो जाएगा जग रोशन मिट जाएगा अंधेरा।
काले बादल कब तक टिक सकेंगे
आखिर थककर जमीन में मिलेंगे।
कांटों में फूलों का राजा खिलता है,
किचड़ में हंसता हुआ कमल दिखता है।
बिना हाथों के चिड़िया घोंसला बनाएं,
बिना प्रशिक्षण बच्चों को उड़ना सिखलाए।
खुद की रक्षा के लिए पेड़ पत्ते गिराते हैं,
अटल रहते पतझड़ का न शोक मनाते हैं।
पर्वत, पठार ,जंगल ,नदी,मैदान है,
सुख- दुख लेकर जन्मा इंसान है।
नूर फातिमा खातून” नूरी”
(शिक्षिका) जिला-कुशीनगर
उत्तर प्रदेश