रात दिन बस हसरतों में हम सफर करते रहे
रात दिन बस हसरतों में हम सफर करते रहे
जीतने की बात ही हर हार पर करते रहे
पढ़ न पाये अपने हाथों की लकीरों को कभी
कोशिशें पुरजोर अपनी हम मगर करते रहे
वक़्त बदलेगा तो खुशियों की भी होंगी कुछ डगर
सोचकर हम ज़िन्दगी अपनी बसर करते रहे
बन गये माँ बाप हम,तो बच्चों के ही प्यार में
ख्वाब अपनी आंखों के उनको नज़र करते रहे
पाएंगे जग में वही रब की है जिसमें भी रजा
बस इबादत हम झुकाकर अपना सर करते रहे
24-11-2020
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद