रात की नदी में
रात की नदी में
निर्बाध बहती चेतना,
विस्तृत होती हृदयपटल पर
खोलती रहस्य जीवन का,
मौन के एक शोर में
हिलती चाँद की प्रतिछाया,
चाँदनी नृत्य करती मधुवन में
कृष्ण गोपियां संग रास लीला,
रात की नदी में नाव खेता
माझी प्रणय कोई गीत गाता,
किसे सुधि है!
भोर होने को है
मदमस्त है सभी जागते सोते
अपने अपने सपनों की अहाते में,
मधुरिम जीवन मधुर मुखर सा
प्रणय मधु का पान करता।
पूनम समर्थ(आगाज ए दिल)