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14 Oct 2021 · 1 min read

रातें दिन के दुश्मन नहीं xxxx

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रातें दिन के दुश्मन नहीं।
महत्ता बढ़ा देता है।
उसके उजलेपन को पहचान देता है।
आदमी संध्या तक शव हो जाता है।
अपने अमृत शव पर,
छुपकर रोने के लिए प्रांगण देता है।
संघर्ष से संतोष प्राप्ति हेतु
दौड़,भागकर हुए निढाल जिस्म को
फिर से जान देता है।
खुद के आकलन का अवसर
और अवसरों का ज्ञान देता है।

रातें होती है बँटी
गोधूली से भिनसार तक।
स्तनपान कराने से
करने अभिसार तक।
सपने देखने के मुहूर्त से
इसे बुनने के संसार तक।
रातें रंग में काली जरूर हैं
पर,उजाले का जाला जरूर बीनती हैं।
ईश्वर से, उसके इशवा होने का गौरव
जरूर छीनती है।
मंदिर के द्वार पर
याचनाओं का अम्बार देख विलाप
जरूर करती है।
———————————-

Language: Hindi
582 Views
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