रातरानी की जादूगरी…
दिन बिता रात आई,
थकान के कारण नींद आई,
पर… सुबह जब उठे….!
तो रात रानी पता नहीं कहां खो गई…!..!
दिन को तो हम देख सकते,अपना कार्य कर लेते हैं
लेकिन रात के अंधेरो में, मुश्किल हैं..!!
रात का इंतजार बेसक सबको होता हैं,
थके हारे जीव सुकून पाते हैं….!!
रात प्यारी प्यारी हैं वो देती सुख चैन हैं,
जागना चाहों तो भी, वो अपना जादू कर जाती हैं,
चाहकर भी हम नहीं संम्भल पाते,
नींद का जोखा आ ही जाता हैं…!!
अपना नशा बिखेरे सबको आराम दे,
जल्दी जल्दी वो चली जाती हैं….!
जाते जाते भी उसका असर फैलाती…!..!
और फिर से वापस सबको,
इन्तज़ार करवाकर कहीं गायब हो जाती हैं…