राज
दिल में रख कर क्या होगा
ज़ज़्बात जुबां पर आने दो ,
दिल में उल्फ़त के शोलों को
नग्मों में जरा ढल जाने दो ,
शोर मचाती शोख़ हवा को
थोड़ा खुद तो इतराने दो ,
मस्ती में डूबी कलियों को
अपनी खुश्बू बिखराने दो ,
न जाने कल फिर क्या होगा
ये राज बड़ा गहरा होगा ,