Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Jun 2023 · 1 min read

मेरे भी तो सपने थे _ मुक्तक

पढ़ने को पढ़ा लेकिन पढ़ाई काम नहीं आई।
मिली थी तारीफें झूँठी बढ़ाई काम नही आई।।
अपने आप में फूला वहम था यह मेरा अपना ।
जीत मिली नही मुझको लड़ाई काम नहीं आई।।
________________________________
मेरे भी तो सपने थे तुम्हारे साथ जीने के।
घूंट प्रेम के मिलते तुम्हारे साथ पीने के।।
वाणी में घोली न मिश्री_ कड़वा घूंट पीला बैठे।
इच्छा थी यही मेरी ज़ख़्म तुम्हारे साथ सीने की।।
_______________________________
आए हैं तो जायेंगे रुकना है यहां किसको।
मेरे जैसे जी लेना जीना है यहां जिसको।।
छोड़ो अहंकार अपना समर्पण के पथ पर दौड़ो।
निशानी छोड़ जाना रै छोड़ना है यहां जिसको।।
राजेश व्यास अनुनय

Language: Hindi
1 Like · 76 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
- रिश्तों को में तोड़ चला -
- रिश्तों को में तोड़ चला -
bharat gehlot
चांद शेर
चांद शेर
Bodhisatva kastooriya
रक्षा के पावन बंधन का, अमर प्रेम त्यौहार
रक्षा के पावन बंधन का, अमर प्रेम त्यौहार
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
#एक_कविता
#एक_कविता
*Author प्रणय प्रभात*
हिन्दी हाइकु- शुभ दिपावली
हिन्दी हाइकु- शुभ दिपावली
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
नीची निगाह से न यूँ नये फ़ित्ने जगाइए ।
नीची निगाह से न यूँ नये फ़ित्ने जगाइए ।
Neelam Sharma
रिश्तो की कच्ची डोर
रिश्तो की कच्ची डोर
Harminder Kaur
*मोलभाव से बाजारूपन, रिश्तों में भी आया है (हिंदी गजल)*
*मोलभाव से बाजारूपन, रिश्तों में भी आया है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
वाचाल सरपत
वाचाल सरपत
आनन्द मिश्र
2483.पूर्णिका
2483.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
कभी जब देखोगी तुम
कभी जब देखोगी तुम
gurudeenverma198
6-
6- "अयोध्या का राम मंदिर"
Dayanand
बुढ़ापे में हड्डियाँ सूखा पतला
बुढ़ापे में हड्डियाँ सूखा पतला
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
नन्हीं परी आई है
नन्हीं परी आई है
Mukesh Kumar Sonkar
आबरू भी अपनी है
आबरू भी अपनी है
Dr fauzia Naseem shad
♥️पिता♥️
♥️पिता♥️
Vandna thakur
हे राम !
हे राम !
Ghanshyam Poddar
उफ़,
उफ़,
Vishal babu (vishu)
"जरा सुनो"
Dr. Kishan tandon kranti
-शेखर सिंह
-शेखर सिंह
शेखर सिंह
हरी भरी थी जो शाखें दरख्त की
हरी भरी थी जो शाखें दरख्त की
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
कुछ रिश्ते भी बंजर ज़मीन की तरह हो जाते है
कुछ रिश्ते भी बंजर ज़मीन की तरह हो जाते है
पूर्वार्थ
छाती
छाती
Dr.Pratibha Prakash
मन की कामना
मन की कामना
Basant Bhagawan Roy
जन्मपत्री / मुसाफ़िर बैठा
जन्मपत्री / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
आँखें दरिया-सागर-झील नहीं,
आँखें दरिया-सागर-झील नहीं,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
* बाल विवाह मुक्त भारत *
* बाल विवाह मुक्त भारत *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
क्या मुझसे दोस्ती करोगे?
क्या मुझसे दोस्ती करोगे?
Naushaba Suriya
बेदर्द ...................................
बेदर्द ...................................
लक्ष्मण 'बिजनौरी'
स्वतंत्रता का अनजाना स्वाद
स्वतंत्रता का अनजाना स्वाद
Mamta Singh Devaa
Loading...