राज नीति
अपनी जात के मिलकर हम बोट बढ़ा लेंगे
खुद की खाली भर कर हम नोट बढ़ा लेंगे
तुम कीचड़ फैलाओ हम कमल उगा लेगे
चाय बेचनेवाला एक उर फिर से बुला लेगे
टट्टी घर भी खा कर खुद महल बना लेंगे
झूठे कसमें खा कर खुद सरकार बना लेंगे
संग में रोटी खाकर तुमको जहर खिला देंगे
कृष्णा फौज सजाकर हम कमल खिला देंगे