राज दरबारी
राज-दरबारी
वो हैं बड़े लेखक
नवाजा जाता है उन्हें
खिताबों से
दी जाती है
सरकार द्वारा सुविधाएं
नाना प्रकार की
बदले में
मिलाते हैं वे कदम-ताल
सरकार से
कर रहे हैं निर्वहन
राज-दरबारियों की
परम्परा का
उनकी लेखनी ने
मोड़ लिया मुंह
आमजन की वेदना से
हो गए बेमुख संवेदना से
चंद राजकीय
रियायतों के लिए
-विनोद सिल्ला©