राज छोड़ बनवास में आया था मेरे साथ में
राज छोड़ बनवास में आया था मेरे साथ में
बहुत घणा इंकार किया था तनै मैं लाचर किया था ये कैसा इंसाफ है
बहुत घणा समझाया था मैंने दुख जंगल का बताया था मैंने
बहुत करी थी आनाकानी बात तनै मेरी एक न मानी
गवाह आकाश सै
हाथ में तेरा मनै हाथ लिया था लाऊ साथ में मनै वचन दिया था
लौट अयोध्या कैसे जाऊं मां पूछे तो के बतलाऊं
याहे चिंता खास सै
सीता रही ना रहा पास में भाई दुश्मन की होई मन की चाही
जिंदा रहना मुश्किल मेरा करडाई ने ऐसा घेरा
हुआ सत्यानाश सै
बलदेव सिंह मनै माफी दे दो हे ईश्वर इंसाफ ही दे दो
भूलूं ना अहसान तुम्हारा जय कर दो उदार हमारा
ये दासों का दास सै