राज की एक खबर (काव्य संग्रह:- सुलगते आँसू)
आओ तुम्हे सुनाऊँ राज की एक खबर…
मेरे रगों में बहती है जो लहू बन कर…
पाहली बार आई थी जब वो नजर…
देख कर उसे,हो गया मैं खुद से बेखबर…!!
आओ तुम्हे सुनाऊँ, राज की एक खबर…
रहती है जो दिल में, धड़कन बन कर…
वह खुदा तो नहीं, पर है औरों से हट कर…
उसे चाहा है और चाहूँगा उम्र भर… !!
आओ तुम्हे सुनाऊँ, राज क एक खबर…
इक पल में ही उसने किया ये कैसा असर…
मैं उसे चाहने लगा कुछ इस कदर…
मरने वाला ज़िन्दगी चाहता हो जिस कदर…!!
आओ तुम्हे सुनाऊँ, राज की एक खबर…
इक पल में ही, दिल में गयी वो ऐसे उतर…
कि छाया उसका नशा, मुझपे कुछ इस कदर…
कि हर घरी हर जगह, वही आये मुझको नजर…!!
आओ तुम्हे सुनाऊँ, राज की एक खबर…
दिल के मंदिर में, लगी है उसी की मूरत…
करता हूँ मैं उसकी इबादत, कुछ इस कदर…
बिना भूले, दिल धड़कता हो जिस कदर…!!
आओ तुम्हे सुनाऊँ, राज की एक खबर…
ज़िन्दगी का हर लम्हा, जिसके नाम दिया कर…
जिसे चाहा आशिक़ी की हद से बढ़ कर…
हो गयी बेवफा और चली गयी, मुझको तन्हा छोर कर…!!
आओ तुम्हे सुनाऊँ, राज की एक खबर…
जब से गयी है वो, मुझको तन्हा छोर कर…
ढूंढता रहता हूँ उसे, हर गली हर शहर…
अब ना करूँगा उसे खुद से दूर, मिल जाये कही अगर…!!
आओ तुम्हे सुनाऊँ, राज की एक खबर…
खुदा से करता हूँ फरयाद, रो-रो कर…
ताबीज बना पहन “साहिल” आयत की तरह, मिल जाये अगर…
आओ तुम्हे सुनाऊँ, राज की एक खबर…!!
आओ तुम्हे सुनाऊँ, राज की एक खबर…!!