राजीव प्रखर (कुंडलिया)
राजीव प्रखर (कुंडलिया)
दोहे रचने की कला, जिनमें भरी अतीव
अभिनंदन स्वीकारिए, नमन प्रखर राजीव
नमन प्रखर राजीव, रामपुर स्वागत करता
शुभागमन से हर्ष, हृदय में बरबस भरता
कहते रवि कविराय, स्वर्ण बन जाते लोहे
शब्दों के संस्पर्श, आप जब रचते दोहे
रचयिता रवि प्रकाश