राजीव था नाम जिसका ( पूर्व प्रधान मंत्री श्री राजीव गांधी जी कि याद में )
एक राजनेता था सबसे जुदा ,
राजीव था नाम जिसका ।
राजनीति जैसे कीचड़ में,
कमल सा था वजूद उसका ।
कितना सौम्य कितना प्यारा ,
शीतल सा रूप था उसका ।
हर उम्र के , हर वर्ग के , हर धर्म के ,
लोगों के दिलों में बसेरा था उसका ।
राजनीति में उसे रुचि तो न थी ,
मगर हालातों ने रुख मोड़ दिया जिंदगी का ।
पहले भाई फिर माता के चले जाने से ,
उसके कंधे पर बोझ बड़ गया जिम्मेदारियों का ।
बनकर देश का मुखिया उसने ,
कमान को संभाला देश रूपी रथ का ।
ज्ञान ,विज्ञान ,क्या हर क्षेत्र में ,
भरपूर विकास किया देश का ।
उसकी बेदाग छवि और अतुल्य ,महान कार्यों से,
ऊंचा नाम हुआ विश्व में देश का ।
अभी तक पंख फैला ही रहा था पंछी ,
अभी तो छूने तो और ऊंचाइयों तक आसमान ।
देश और समाज को विकास के शिखर पर ,
पहुंचाने का सपना हो पूरा करना था उसे मां का ।
मगर हाय! कैसी दुर्भाग्य पूर्ण घड़ी एक आई ,
जिसने हीरा छीन लिया देश के अनमोल खजाने का ।
नारियों के प्रति श्रद्धा और विश्वास रखने वाला ,
शिकार हुआ उसी के एक चंडाल रूप का ।
आदर सत्कार के बहाने जिसने माला पहनाई ,
और सर्वनाश कर दिया उस बेगुनाह इंसान का ।
वोह मासूम इंसान कुछ समझ भी नहीं पाया,
के चिथड़ों में बंट गया वजूद उसका ।
याद करके अब भी वोह निर्मम दुखदाई घटना ,
कलेजा फट सा जाता है और उमड़ पड़ता है सागर
दर्द का ।
फना तो कर दिया उसे ,मगर यह सच है ,
अमर रहेगा वो रहती दुनिया तक ,
कभी मिट ना सकेगा निशान उसका ।
कभी यादों में ,कभी अश्कों में ,
सदा विद्यमान रहेगा ,
राजीव था नाम जिसका ।