*राजा राम सिंह का वंदन, जिनका राज्य कठेर था (गीत)*
राजा राम सिंह का वंदन, जिनका राज्य कठेर था (गीत)
_________________________
राजा राम सिंह का वंदन, जिनका राज्य कठेर था
1)
धन्य राज्य जिसने थे राजा, राम सिंह शुभ पाए
बलशाली जो स्वाभिमान के, ज्यों प्रतीक कहलाए
नहीं झुका जिनका मस्तक, कलुषित सत्ता के आगे
धर्म-ध्वजा जो लिए हाथ में, सदा देशहित जागे
इतिहासों में लिखा हुआ है, वह भारत का शेर था
2)
नित्य भजन पूजन अर्चन, जिनकी दिनचर्या पाते
प्रभु का पाते सूक्ष्म-रूप जब, ध्यान-योग में जाते
घर-घर में गीता रामायण यज्ञ भजन होते थे
सुखी प्रजाजन कभी नहीं, मुस्कान अमिट खोते थे
पूजा करते समय कटा सिर, धोखे से अंधेर था
3)
यह कठेर विस्तार रामपुर, और मुरादाबाद था
अपनी संस्कृति अपनी भाषा, से कठेर आबाद था
यहॉं बह रही कोसी सदियों, से पूजी जाती थी
यहॉं शंख की ध्वनि धरती के, कण-कण से आती थी
धूल-धूसरित हुआ राज्य यह, सिर्फ समय का फेर था
राजा राम सिंह का वंदन, जिनका राज्य कठेर था
_________________________
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15455