“राज़ खुशी के”
जो है अभी पास उनके साथ में खुश रहो।
जो चले गए हैं दूर उनके याद में खुश रहो।
दिल दुखाने का ज़िम्मा तो जमाने ने ले रखा है,
जैसे भी हो बस हर हाल में खुश रहो।
जो बख्शा है खुदा ने,हर सौगात में खुश रहो।
‘कुछ’ मिल ना पाए तो ‘और कुछ’ की आस में खुश रहो।
मिल ही ना पाए जो उनके ख्यालात में खुश रहो।
दिल दुखाने का ज़िम्मा तो जमाने ने ले रखा है,
जैसे भी हो बस हर हाल में खुश रहो।
जैसा भी था कल बीत गया अपने आज में खुश रहो
अच्छा हो या बुरा हो,हर मिजाज में खुश रहो।
जो लकीरों में ही नहीं उनके फरियाद में खुश रहो।
कोई मांगे होंगे तुम्हारी भी खुशी, उनके मुराद में खुश रहो।
दिल दुखाने का ज़िम्मा तो जमाने ले रखा है,
जैसे भी हो बस हर हाल में खुश रहो
जब तक न हो जाए गम बेहद, हद ए बरदाश्त में खुश रहो।
ज़रा छलकना भी होता है जरूरी, कभी इन नजरों की बरसात में खुश रहो।
दिल दुखाने का ज़िम्मा तो जमाने ने ले रखा है,
जैसे भी हो बस हर हाल में खुश रहो, हर हाल में खुश रहो।
ओसमणी साहू ‘ओश’ रायपुर (छत्तीसगढ़)