*राजनैतिक तिबाहा*
मध्यप्रदेश की राजनीति ने
अजब-सा मोड़ लिया,
मिला न हिस्सा जिन्हें,
उन्होंने ऐसा सबक दिया।
वर्षों की वफ़ा का सिलसिला
चंद लम्हों में अदा किया,
उम्मीद तनिक न थी जिनसे,
उन्होंने ही मुँह मोड़ लिया।
कमलनाथ की नाथ छोड़ अब
कमल नाल को पकड़ लिया।
पाला था जिसने दूध पिला,
आस्तीनियों ने उस माँ को छोड़ दिया।
है ठीक भी होना चाहिए,
क्यों व्यर्थ ‘मयंक’ अब काम करे,
जिस तरफ़ हवा प्रवाहित हो,
उस तरफ़ तिबाहा मोड़ लिया।