राजनेता
जो करते रहते रैलियों में देश के विकास की बात,
जो करते बड़े-बड़े वादे मतदाताओं से,
जो लिपट जाते मतदाताओं के पैरों में,
जो देते लंबे-लंबे उबाऊ फरेबी भाषण,
जो कहते करेंगे काम हित में जनता के,
जो चुनाव तक आते-जाते रहते हमारे घरों में,
बात चुनाव के वे पूरी तरह बदल जाते हैं,
जो बड़ी-बड़ी वादे थे वे न पूरी कर पाते हैं,
जो चुनाव से पहले लिपटे रहते थे मतदाताओं के पैरों में,
अब वे नजर ना आते दूर-दूर तक के इलाकों में,
जो कहते थे करेंगे काम जनता के हित में,
चुनाव के बाद वो मुँह छिपाए मग्न हैं अपनी सत्ता में,
जो आते रहते थे घर हमारे,
हमारी हाल-चाल जानने,
बाद चुनाव के वो एक बार भी घर हमारे ना आते हैं,
वही हमारे राजनेता कहलाते हैं |