राजनीती
राजनीती आज कितनी बदहवास हो गई!
कर्मठ कर्मयोगी छोड गुडो की दास हो गई!!
कुछ करते है केवल पैत्रक व्यवसाय की तरह!
प्रजातंत्र बेमानी,उनके परिवार की खास हो गई!!
प्रधान मंत्री,मुख्य मंत्री पद भी उनकी जागीर है!
जैसे राजतंत्र विरासत मे मिलने की आस हो गई!!
देते है दुहाई संविधान और न्याय के उल्लघंन की,
जिन्हे सत्ता मे सदैव बने रहने की भी ठासं हो गई!!
पाच वर्ष एसी महलो और विदेशो मे घूमते -फिरते है,
चुनाव घोषित होने पर जनता के मुद्दो से मिठास हो गई!!
पता नही नेतृत्व विहीन गठबंधन का ऊट किस करवट बैठे?
पर शासन की नीतियो को गलत सिद्ध कर,खटास हो गई!!
सर्वाधिकार सुरछित मौलिक रचना
बोधिसत्व कस्तूरिया एडवोकेट .कवि,पत्रकार
202 नीरव निकुजं फेस-2,सिकंदरा,आगरा -282007
मो:9412443093