राजनीति हलचल
राजनीतिक – हलचल (व्यंग्य)
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रंधावा ने बांटी मिठाई,
पर वो किसी काम नहीं आई।
कांग्रेस की खोटी जो चवन्नी,
सीएम बना चरणजीत चन्नी,
शायद बची थी यही दवाई।
पर वही किसी काम है आई।
अमरेन्द्र था पंजाब का राजा,
सिद्धू ने बजा दिया है बाजा,
कुर्सी और चौधर भी गंवाई।
आँखें भावुकता से भर आई।
आपस मे थी खींचा तानी,
जो होती बर्बादी की निशानी,
यह तो थी चौधर की लड़ाई।
जो थी अब सड़कों पर आई।
पांच दरियाओं की है धरती,
बनती – बनती बात बिगड़ती,
कुछ भी नहीं देता है दिखाई।
छुपे रुस्तम की है बारी आई।
मनसीरत राजनीति में कच्चा,
सब झूठे कोई भी नहीं सच्चा,
चुप रहने में ही दिखे भलाई।
जो बोले उसकी शामत आई।
रंधावा ने बांटी मिठाई।
पर वो किसी काम न आई।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)