राजनीति में संत हो गए
ईश्वर,अल्लाह,ईसा,नानक
एक ही हैंं जब सारे तो
जन-मन को ठगने की खातिर
कितने सारे पंथ हो गए ।
लोभी लम्पट भोगी सारे
भेष बदल सब हो गए न्यारे
अमिट आस्था से छल करने
बाबा सब भगवंत हो गए ।
एक प्रभु की सब संतान
जग सारा ही एक मकान
फिर मंदिर मस्जिद की खातिर
कितने मौलवी महंत हो गए।
खल,कपटी,दस्यु,हत्यारे
दुग्ध धवल परिधान पहनकर
भोली जनता से छल करने
राजनीति में संत हो गए ।
किसने धर्म निभाया अपना
कौन सत्य की डगर चला है
इक दूजे को डसने खातिर
कैसे कब विषदंत हो गए ।
जिसने अपनी आस सौंप दी
जिसने अपनी रास सौंप दी
आशाओं पर ग्रहण लगाकर
कितने बैरी बसंत हो गए ।