Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Jul 2022 · 3 min read

*राजनीति में बाहुबल का प्रशिक्षण (हास्य व्यंग्य)*

राजनीति में बाहुबल का प्रशिक्षण (हास्य व्यंग्य)
■■■■■■■■■■■■■■■■■■
वह लड़का होनहार था । चतुर भी था । उत्साहित दीखता था । एक दिन मैंने देखा कि वह छत पर पिस्तौल हाथ में लेकर हवाई फायरिंग कर रहा था। उत्सुकतावश मैंने पूछ लिया -“क्यों भाई ! पिस्तौल चलाना क्यों सीख रहे हो ? ”
मुस्कुरा कर कहने लगा -“राजनीति में जाने की सोची है । आवश्यक तैयारी कर रहा हूं । ”
मैंने कहा “मैं कुछ समझा नहीं ? “। वह ठहाका मार कर समझाने लगा । बोला- “आपको लगता है आजकल राजनीति की न्यूनतम आवश्यकताओं के बारे में भी कोई अनुमान नहीं है ? अब बिना पिस्तौल चलाना सीखे किसी को राजनीति में कुछ अच्छा उत्तरदायित्व मिल पाना मुश्किल ही है।”
मैंने उस लड़के को टोका तथा सख्ती से कहा -“यह तुम किस किस्म की बात कर रहे हो ? भला राजनीति का पिस्तौल चलाने से क्या संबंध हो सकता है ? ”
अब उसने कहा “आइए बैठिए ! हम आपको पूरी राजनीति समझाते हैं । देखिए, राजनीति में जब हम आएंगे तो टिकट मांगेंगे । टिकट मांगने से पहले हमारे पास कोई बाहुबल होना चाहिए । अगर मान लीजिए टिकट-कमेटी ने हमसे पूछ लिया कि क्यों भैया ! तुम्हें बाहुबली कैसे माना जाए और टिकट कैसे दे दिया जाए ? तब कम से कम हम अपनी जेब में रखा हुआ पिस्तौल निकालकर दिखला सकते हैं कि यह हमारे बाहुबली होने का सबूत है । तब टिकट मिलने की लाइन में हमें लगे रहने की अनुमति शायद मिल जाए । लेकिन फिर भी टिकट इतना आसान नहीं होता ।”
“क्यों भाई ! ऐसा क्यों सोचते हो ?तुम्हारे पास पिस्तौल है । उसे चलाना जानते हो । इससे ज्यादा और क्या चाहिए ? ”
“नहीं भैया जी ! आजकल पिस्तौल होने से कुछ नहीं होता । टिकट-कमेटी में पहला सवाल यह पूछा जाता है कितनी बार पिस्तौल चलाई है ? कितनी बार हत्या का प्रयास करने के आरोप में गिरफ्तार हुए हो ? जेल गए हो ? जो जितनी बार जेल जाता है, वह टिकट का उतना ही बड़ा दावेदार माना जाता है । फिर इतने से ही काम नहीं चलता। यह भी देखना पड़ता है कि उसके साथ कितने लोग हैं ,जो कट्टा जेब में लेकर घूमते हैं । कल को टिकट मिल जाए और चुनाव लड़ना पड़े ,तब विरोधियों को काबू में करने के लिए दस-बीस बाहुबली साथ में जरूरी हो जाते हैं । आजकल चुनाव उनके बल पर ही जीता जाता है । एक जमाना था …” वह लड़का अब दार्शनिक अंदाज में मुझे समझाने लगा “..जब किसी को अपशब्द कह देना बहुत बड़ी गुंडागर्दी मानी जाती थी। किसी को धक्का दे देना एक कोहराम मचाने वाली स्थिति होती थी । चाँट मारना तो जैसे समझ लो ,भूचाल आ जाता था। लेकिन अब किसी के पेट में छुरा भोंकना एक सामान्य घटना हो गई । जब तक विरोधी -पक्ष आक्रमण का शिकार होकर मर नहीं जाता और हत्या का आरोप विरोधी पर नहीं लगता ,तब तक कहने लायक कोई घटना भी नहीं होती । पुलिस एक्शन में तभी आती है ,जब वह सुनिश्चित कर लेती है कि सचमुच कोई व्यक्ति संघर्ष में मर गया है ।”
मैं उस लड़के के राजनीतिक प्रशिक्षण पर मुग्ध हो रहा था । कभी उसके चेहरे को देखता था ,कभी उसके हाथ में थामी हुई पिस्तौल को देख रहा था । मुझे पक्का यकीन था कि यह लड़का एक दिन जरूर चुनावी राजनीति में एक चमकता हुआ नाम स्थापित हो जाएगा । वह लड़का राजनीति का भविष्य था । मैंने दूज के चंद्रमा की तरह उसके दर्शन किए ,यह मेरा सौभाग्य था।
★★★★★★★★★★★★★★★
लेखक : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

1 Like · 346 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
प्रेम - एक लेख
प्रेम - एक लेख
बदनाम बनारसी
वह फिर से छोड़ गया है मुझे.....जिसने किसी और      को छोड़कर
वह फिर से छोड़ गया है मुझे.....जिसने किसी और को छोड़कर
Rakesh Singh
The World at a Crossroad: Navigating the Shadows of Violence and Contemplated World War
The World at a Crossroad: Navigating the Shadows of Violence and Contemplated World War
Shyam Sundar Subramanian
"अल्फाज "
Dr. Kishan tandon kranti
*आत्मविश्वास*
*आत्मविश्वास*
Ritu Asooja
◆ मेरे संस्मरण...
◆ मेरे संस्मरण...
*प्रणय*
Hard To Love
Hard To Love
Vedha Singh
कच्चे मकानों में अब भी बसती है सुकून-ए-ज़िंदगी,
कच्चे मकानों में अब भी बसती है सुकून-ए-ज़िंदगी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
अनुनय (इल्तिजा) हिन्दी ग़ज़ल
अनुनय (इल्तिजा) हिन्दी ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
रिश्तों के माधुर्य में,
रिश्तों के माधुर्य में,
sushil sarna
हनुमान जी वंदना ।। अंजनी सुत प्रभु, आप तो विशिष्ट हो ।।
हनुमान जी वंदना ।। अंजनी सुत प्रभु, आप तो विशिष्ट हो ।।
Kuldeep mishra (KD)
4015.💐 *पूर्णिका* 💐
4015.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
झुर्रियों तक इश्क़
झुर्रियों तक इश्क़
Surinder blackpen
*खाना तंबाकू नहीं, कर लो प्रण यह आज (कुंडलिया)*
*खाना तंबाकू नहीं, कर लो प्रण यह आज (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
13, हिन्दी- दिवस
13, हिन्दी- दिवस
Dr .Shweta sood 'Madhu'
ज़िंदगी का भी
ज़िंदगी का भी
Dr fauzia Naseem shad
*****खुद का परिचय *****
*****खुद का परिचय *****
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
ख़्वाबों में तुम भले डूब जाओ...
ख़्वाबों में तुम भले डूब जाओ...
Ajit Kumar "Karn"
नवरात्रि
नवरात्रि
surenderpal vaidya
मेरे दुःख -
मेरे दुःख -
पूर्वार्थ
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
हमेशा गिरगिट माहौल देखकर रंग बदलता है
हमेशा गिरगिट माहौल देखकर रंग बदलता है
शेखर सिंह
वस्तुएं महंगी नही आप गरीब है जैसे ही आपकी आय बढ़ेगी आपको हर
वस्तुएं महंगी नही आप गरीब है जैसे ही आपकी आय बढ़ेगी आपको हर
Rj Anand Prajapati
जय जय दुर्गा माता
जय जय दुर्गा माता
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
आलोचना के द्वार
आलोचना के द्वार
Suryakant Dwivedi
तू अपना सफ़र तय कर -कविता
तू अपना सफ़र तय कर -कविता
Dr Mukesh 'Aseemit'
काम ये करिए नित्य,
काम ये करिए नित्य,
Shweta Soni
" कविता और प्रियतमा
DrLakshman Jha Parimal
हमें सलीका न आया।
हमें सलीका न आया।
Taj Mohammad
Loading...