“राजनीति में जोश, जुबाँ, ज़मीर, जज्बे और जज्बात सब बदल जाते ह
“राजनीति में जोश, जुबाँ, ज़मीर, जज्बे और जज्बात सब बदल जाते है “जैदि”,
मगर बदलते नही है तो फ़कत जालिम-ए-ज़ख्म”
शायर:-“जैदि”
डॉ.एल.सी.जैदिया “जैदि”
“राजनीति में जोश, जुबाँ, ज़मीर, जज्बे और जज्बात सब बदल जाते है “जैदि”,
मगर बदलते नही है तो फ़कत जालिम-ए-ज़ख्म”
शायर:-“जैदि”
डॉ.एल.सी.जैदिया “जैदि”