राजनीति (भोजपुरी * घनाक्षरी)
जौ संगे घून जईसे चकरी में पीसत बाटे
वईसे ही पीसे राजनीति आम जन के।
बात ई बुझत$ सबे तबो आगे पीछे भागे
जईसे मनमीत नेता हऊंयें सबका मन के।।
देशवा के हाल कईसे भईल बा बेहाला आज
भ्रष्टाचार के ही बोल बाला चहुंओर बा।
कवनों नाहीं चिन्ता ना फीकीर बाटे नेता जी के
कम्बल ओढी खीव पीये जोर पुरजोर बा।।
जईसे ही चुनाव आवे नेता आगे पीछे भागे
बीना कवनों लाग हित बनेला ऊ क्षन में।
देखी देखी आमजन भईल बा बेहाल सब
सोचे कईसे भला होई देशवा के मन में।।
जात के आधार रामबाण नेताजन के
धर्म के तमाशा ईहा आम सरेआम बा।
नोट अऊर वोट के रिश्ता जईसे मियां- बीवी
खेल राजनीति आज गिरगिटे के काम बा।।
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©®पं.संजीव शुक्ल “सचिन”