राजनीति पर दोहे
वादों की बौछार सब, नेता करते आज।
वोट उसी को दीजिए, करे देशहित काज।।//1
जाति धर्म अरु क्षेत्र को, भूल डालिए वोट।
लालच का हो त्याग जब, मिटे हृदय से खोट।।//2
अपना देश महान तब, हम भी बने महान।
भूल स्वयं को हम चलें, मूढ मूर्ख अनजान।।//3
जिसके हृदय प्रपंच हो, नेता वह शैतान।
झूठ लूट अरु फूट से, हज़्म करे जन जान।।//4
राजनीति के खेल में, बदले समय उसूल।
काँटों से अनुकूलता, फूलों के प्रतिकूल।।//5
मुस्तक़बिल की बात तो, सुना समय अभिमान।
शक्तिहीन कर वक़्त को, भूले हद इंसान।।//6
सत्ता का करके नशा, ख़ोद रहा निज क़ब्र।
सबके दिल में वह बसा, जिसको भाया सब्र।।//7
आर आर.एस. ‘प्रीतम’