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2 Jul 2022 · 1 min read

राजनीति घिनोना खेल

* राजनीति घिनोना खेल *
*********************

राजनीति घिनोना खेल है,
होती रहती धक्कम पेल है।

बेटा बाप पर भारी है सदा,
चले उतना जितना तेल है।

बदलता रहता माहौल सदा,
बिना ईंजन ये लंबी रेल है।

पाप का घड़ा जब भी भरे,
मौज मस्ती के लिए जेल है।

धर्म – जाति- दंगा फसाद है,
दुश्मनों का पल में मेल है।

मनसीरत सियासी रंग चढ़ा,
हर बंदा बिकता बड़ी सेल है।
**********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैश)

Language: Hindi
95 Views
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