राजनीति के फंडे
राजनीति के फंडे भी बड़े अजीब हैं ,
सत्ता की होड़ में नेता एक दूसरे की
टांग खींचते रहते हैं ,
अपना कद दूसरे के कद से बड़ा करने की
कोशिश में लगे रहते हैं ,
एक चोर दूसरे को चोर कहता है ,
अपने आप को महान बताता है ,
हकीकत में ये सब चोर , लुटेरे ,
बटमार , एक ही थाली के चट्टे बट्टे हैं ,
इन्होंने अपने -अपने अंध भक्तों की फौज
खड़ी कर ली है ,
जो दिन- रात इनकी शान में कसीदे पढ़कर
महिमामंडन करती रहती है ,
इनमें से कुछ ने तो अपने आप को
मसीहा मान लिया है ,
कुछेक ने तो खुद को ,
भगवान का अवतार ही घोषित कर दिया है ,
इस मसीहा बनने और भगवान के अवतार कहलाने
की दौड़ में इंसानियत कुछ पीछे छूट गई है ,
सियासत के जुनून में हैवानियत सर चढ़कर
बोल रही है ,
आम आदमी राजनीति का मोहरा बनकर
रह गया है.
मूकदर्शक बना इस त्रासदी को दिन- रात
झेल रहा है।